Sunday 6 December 2015

सिविल सेवा मुख्य परीक्षा से पहले.......

प्रिय दोस्तों,

उम्मीद है आप हमेशा की तरह व्यस्त और मस्त होंगे। मुख्य परीक्षा सिर पर है, मुझे मालूम है कि खूब पढ़कर भी एक अजीब सा तनाव महसूस कर रहे होंगे। यह बेहद स्वाभाविक है। मैं भी परीक्षा से पहले तनाव का सामना करता था। पर इसका यह मतलब नहीं, कि तनाव में बिखर जाएँ।
"मुश्किलें सब पर आती हैं,
कोई बिखर जाता है, और कोई संवर जाता है। "

 
मुख्य परीक्षा के ठीक पहले चलिए करते हैं कुछ काम की बातें :
1. यह आप बखूबी समझते हैं कि व्यर्थ के तनाव से कोई फायदा तो होने से रहा, बल्कि नुकसान ज़रूर हो सकता है। लिहाज़ा किसी की बातों में ज्यादा न आएं और खासकर शेखी बघारने वालों से बचें।
2. जो आपने नहीं पढ़ा है, जरुरी नहीं कि परीक्षा में वही आएगा। अतः जितना पढ़ा है, उतना काफी है। बस उसे दोहराते रहें और कूल रहें।
3. किसी एक सवाल या समस्या पर ज्यादा केंद्रित न हों, उससे ध्यान हटाकर आगे बढ़ें।
4. मित्रों, साल भर की तैयारी एक तरफ है और परीक्षा के दिन आपका प्रदर्शन एक तरफ है। अतः सिर पर ज़्यादा बोझ न रखते हुए मुस्कुराते हुए परीक्षा देने जाएं।
5. आपके ही कुछ ज्ञानी मित्र परीक्षा केंद्र के बाहर परीक्षा से कुछ मिनट पहले, लंच ब्रेक में और फिर परीक्षा  के बाद प्रश्नों का  विश्लेषण और उत्तरों की तुलना करते दिखेंगे। उनसे ठीक-ठाक दूरी बनाये रखें।
6 . सामान्य अध्ययन का या अन्य किसी विषय का कोई एक प्रश्नपत्र यदि कुछ खराब हो भी जाए, तो उसका तनाव कतई न लें, क्योंकि इसका ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
7. चूँकि अब परीक्षा में अलग से उत्तर पुस्तिका नहीं मिलती, बल्कि प्रश्न-सह-उत्तर पुस्तिका होती है, अतः समय बचाने का एक बेहतर तरीका यह हो सकता है कि पहले प्रश्न से शुरू  करके अंत तक लिखते जाएँ।
8. महत्वपूर्ण बातों को अंडरलाइन करने से अच्छा प्रभाव पड़ता है।
9. कोशिश करें कि आपके पैराग्राफ बहुत लम्बे न हों।
10. कोशिश करें कि पूरा प्रश्नपत्र अटेम्प्ट कर सकें, खासकर एथिक्स और ऑप्शनल सब्जेक्ट में।
11. यदि कहीं पर 200 शब्दों में उत्तर लिखने की अपेक्षा की गयी है, तो बेफिक्र होकर 150 से 175 शब्दों में लिख दें।  महत्वपूर्ण बातों और तर्कों को कम शब्दों  में समेटने की कोशिश करें।
12. यदि कोई उत्तर लिखते समय कोई हाल-फिलहाल का घटनाक्रम ध्यान आये, तो उसका भी प्रासंगिक उल्लेख कर सकते हैं।
13. चीज़ों को जोड़ना और उन्हें समग्र रूप में देखना सीखें और समस्या को सभी पहलुओं के साथ समझने की कोशिश करें।
14 . अच्छा प्रस्तुतीकरण और स्पष्ट लेखन अंक बढ़ाते हैं, अतः इनकी अनदेखी न करें।
15. अपनी ज़िन्दगी दाव पर लगाकर परीक्षा देने की प्रवृत्ति से बचें और निश्चिन्त होकर उत्तर लिखें।
16. अब समय बहुत काम बचा है, अतः रिवीजन, केस स्टडी का अभ्यास और कुछेक निबंध लिखने को प्राथमिकता  हैं।

अंत में यही कहना है, कि 'अंत भला सो सब भला।' मतलब अगर अभी भी आप अच्छे से लिखकर आ जाते हैं तो पहले की सब लापरवाहियां बेअसर हो जाएँगी। इसलिए व्यस्त और मस्त रहते हुए जुट जाइये।
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
---आपका निशान्त
               

Tuesday 17 November 2015

हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों के लिए ……



हिन्दी साहित्य मेरा पसंदीदा विषय है। इसे पढ़कर मुझे अजीब सा सुकून मिलता है। सिविल सेवा परीक्षा के वैकल्पिक विषयों की सूची में भी हिन्दी साहित्य अभ्यर्थियों का एक पसंदीदा विषय है। हिंदी माध्यम के छात्रों का इस विषय की ओर सहज रुझान रहा है। इस विषय की लोकप्रियता का कारण इसका रुचिकर होने के साथ-साथ अंकदायी होना भी है। इस विषय में मुझे सौभाग्य से इस साल 313 अंक मिले हैं, जो संभवतः सर्वाधिक हैं। बहरहाल, आइये, बात करते हैं हिन्दी साहित्य को वैकल्पिक विषय के रूप में लेने वालों के लिए, बेहतर प्रदर्शन के कुछ जरुरी बिन्दुओं की :
1. सबसे पहली बात यह है कि व्याकरणिक अशुद्धियों से बचें और सहज व सरल भाषा का प्रयोग करें।
2. पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी पुस्तकों को पढ़ जरूर लें, ताकि व्याख्या करते समय सही सन्दर्भ लिख सकें।
3. अच्छे अंक पाने के लिए व्याख्या खंड में सही सन्दर्भ पहचानना बेहद ज़रूरी है। पद्य खंड में सन्दर्भ पहचानना आसान होता है और व्याख्या करना कठिन। जबकि गद्य खंड में सन्दर्भ पहचानना कठिन होता है और व्याख्या करना आसान।
4. कोशिश करें कि प्रथम प्रश्नपत्र को ठीक से पढ़ और समझ लें।  यदि आपको साहित्य का इतिहास ठीक से पता होगा तो द्वितीय प्रश्नपत्र में काफी मदद मिलेगी।
5. पूरे पाठ्यक्रम को एक बार पढ़ जरूर लें ताकि सब लेखकों और उनकी निर्धारित रचनाओं  के बारे में आपको बेसिक जानकारी जरूर हो, ताकि मुश्किल वक़्त में उसका प्रयोग कर पाएं।
6. कोशिश करें कि प्रश्नपत्र को क्रमवार हल करते चलें।  क्योंकि परीक्षक भी उसी क्रम में कॉपी जांचेंगे।
7. हिन्दी के पेपर में जीएस की तरह वक़्त की उतनी कमी नहीं होती, अतः पूरा प्रश्नपत्र हल करने का प्रयास करें।
8. चूँकि अब प्रश्नों की संख्या ज़्यादा होती है और शब्दसीमा कम, इसलिए पूरे पाठ्यक्रम की थोड़ी-थोड़ी जानकारी और समझ अवश्य रखें। हर टॉपिक को संक्षेप में तैयार कर लें।
9. अब सिर्फ एक महीना बचा है, इसलिए अनावश्यक विस्तार से बचते हुए पूरे पाठ्यक्रम को संक्षेप में दोहरा लें।
10. विभिन्न लेखकों और कवियों के कथन और काव्य पंक्तियाँ विशेषकर द्वितीय प्रश्नपत्र में विशेष महत्त्व रखती हैं। उदाहरण देने से आपके कथन और  तर्कों की पुष्टि हो जाती है। इसलिए प्रसंग के अनुरूप उदाहरण लिखने में हिचकिचाएं नहीं। पर ध्यान दें, उदाहरण प्रासंगिक और संगत लगने चाहिएं, ऊपर से थोपे हुए नहीं।
11. आपने इन कोटेशन्स को जहां भी नोट किया है, वहां से इन्हें निरंतर दोहराते रहें। पर साथ ही हर पंक्ति के साथ उसका प्रसंग या प्रतिपाद्य जरूर लिख लें। मसलन, कबीर की भाषा के बारे में लिखते हुए 'संस्किरत है कूप जल, भाखा बहता नीर' लिख सकते हैं। 'काहे री नलनी, तू कुम्हिलानी' से कबीर के दर्शन और रहस्यवाद को जोड़ लें। 'किलकत कान्ह घुटरुवनि आवत' सूर के वात्सल्य का अच्छा उदाहरण है। 'समन्वय उनका करे समस्त, विजयिनी मानवता हो जाय', कामायनी के समरसता के दर्शन को प्रतिपादित करती हैं।
12. भाषा खंड को लेकर अभ्यर्थियों में एक अजीब सा भय रहता है। दरअसल यह खंड कम मेहनत में अधिक अंक देता है। इसकी सभी यूनिट्स को संक्षेप में तैयार कर लें। मसलन पाली, प्राकृत और अपभ्रंश में से प्रत्येक की अगर आपको 6-7 विशेषतायें पता हैं तो इतना काफी है। राजभाषा, राष्ट्रभाषा, संपर्क भाषा को ठीक से तैयार करना बेहतर विकल्प है।
13. यदि मैं अपनी बात करूँ, तो मुझे प्रथम प्रश्नपत्र में भाषा खंड और द्वितीय प्रश्नपत्र में काव्य खंड अधिक प्रिय हैं। और मैंने इन्हीं से अधिक प्रश्न हल किये थे।
14. हिंदी साहित्य के उत्तर पैराग्राफ में ही लिखें, बिन्दुवार नहीं।
15. सहज और सरल भाषा का प्रयोग बेहतर है, पर ज़रूरत पड़ने पर साहित्यिक शब्दावली का प्रयोग करते रहें।




Monday 2 November 2015

सिविल सेवा परीक्षा में कैसे लिखें निबंध ....

सिविल सेवा परीक्षा में कैसे लिखें निबंध ...

प्रिय दोस्तों,
मुख्य परीक्षा के वर्तमान पैटर्न में निबंध के प्रश्नपत्र का महत्त्व बेहद बढ़ गया है।  ऐसे में इस पेपर को नज़रअंदाज़ करना भारी पड़ सकता है।
पर आश्चर्यजनक बात यह है कि हम में से अधिकतर लोग निबंध के पेपर के महत्त्व को जानते हुए भी अक्सर इसकी अनदेखी करते हैं।
दरअसल यह एक ऐसा पेपर है, जिसमें प्राप्तांकों की रेंज बहुत ज़्यादा है। किसी को 250 अंकों में से महज 50 अंक मिल पाते हैं तो कोई 150 अंक लाकर अपनी सफलता की राह को आसान बना लेता है। सौभाग्य से, मुझे 2014 की मुख्य परीक्षा में 160 अंक मिले, जिसके बूते मैं 13 वीं रैंक और मुख्य परीक्षा में तीसरी रैंक प्राप्त कर सका। अगर हिन्दी माध्यम के परीक्षार्थियों की बात करें, तो इस पेपर का महत्त्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस साल से हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सभी परीक्षार्थियों की सफलता में निबंध के पेपर का अच्छा-खास योगदान है।
लिहाज़ा निबंध के प्रश्नपत्र में अच्छे अंक पाने के लिए इस पर थोड़ा ध्यान दें:
1. अभ्यास का कोई विकल्प नहीं है। हर हफ्ते तीन घंटे के लिए बैठें और डेढ़-डेढ़ घंटे में कुल 2 निबंध लिखने का अभ्यास ज़रूर करें। इसका आपको बेहद फायदा होगा।
2. पहले कुछ मिनटों में निबंध की एक लिखित रूपरेखा ज़रूर बना लें, इसमें निबंध के विषय के विस्तार के पक्ष, तथ्य, उदाहरण और उक्तियाँ शामिल कर सकते हैं।
3. विषय तसल्ली से चुनें। उसी क्षेत्र के विषय चुनें, जिन पर आपकी पकड़ और समझ अच्छी हो। उदाहरण के लिए, विज्ञान पृष्ठभूमि के लोग तकनीकी विषयों पर कुछ बेहतर लिख सकते हैं।  मुझे साहित्य-संस्कृति-मीडिया और अध्यात्म से जुड़े विषय ज़्यादा आकर्षित करते हैं। अमूर्त विषयों पर मैं ज़्यादा बेहतर  लिख पाता हूँ। मेरी सलाह है कि अपनी रूचि और सम्बंधित विषय क्षेत्र की समझ के आधार पर निर्णय लें।
4. शुरुआत प्रस्तावना से करें, जो कई तरह की सकती है, जैसे कोई प्रसिद्ध कथन या उक्ति, कोई उदाहरण या विषय की पृष्ठभूमि।  पर प्रस्तावना में एक विजन होना चाहिए और विषय के विस्तार का संकेत भी होना चाहिए।
5 . निबंध को पैराग्राफ में ही लिखें। एक पृष्ठ पर दो से तीन पैराग्राफ अच्छे लगते हैं।
6. जिस तरह खाना न केवल अच्छा बना हो, बल्कि उसका ढंग से परोसा जाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, ठीक इसी तरह निबंध में भी प्रस्तुतीकरण का अच्छा-खासा महत्त्व है।
7. विषय का विस्तार करते वक़्त कोशिश करें कि उसके ज़्यादातर पहलुओं को छू सकें। हर विषय के बहुत से पक्ष हैं, जैसे- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक।  जितने ज़्यादा पहलुओं को छुएंगे, उतना अच्छा प्रभाव पड़ेगा।  पर व्यर्थ के विस्तार से बचें।
8. क्रमबद्ध और व्यवस्थित ढंग से लिखें। बेतरतीब और मनमाने ढंग से लिखना खराब प्रभाव छोड़ता है।
9. शब्द सीमा का अतिक्रमण करके समय और श्रम व्यर्थ न करें।
10. निबंध पूरे जीवन के अध्ययन और अनुभव का एक निचोड़ है।  लिहाज़ा पढ़ते रहें, लिखते रहें और सीखते रहें।
'' ''कुछ लिखकर सो, कुछ पढ़कर सो,
तू जिस जगह जगा सवेरे, उस जगह से बढ़कर सो।''
-- ( भवानी प्रसाद मिश्र)
 

--  शुभकामनाओं के साथ  …
निशान्त