Saturday 22 October 2016

मेरा शहर : मेरा गीत - 'शहर जिसे कहते हैं मेरठ'

मेरा शहर : मेरा गीत - 'शहर जिसे कहते हैं मेरठ'
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 शहर मेरे तू मेरी मुहब्बत, तू है मेरी जान,
गंगा-जमुनी आन-बान की तू सच्ची पहचान।

शहर-छावनी में सोया है, सदियों का इतिहास,
महाभारत से जंग-ए आज़ादी तक का अहसास,
सन सत्तावन की क्रान्ति की, तूने छेड़ी तान।

हिन्दी -उर्दू के लफ़्ज़ों में, तेरी महक समाई,
मन्त्र-अजानें-गुरूबानियाँ, तूने सदा सुनाईं,
शान्ति-अमन की परम्परा का, बना रहे सम्मान।

हर जुबान में घुली तेरे, गन्नों की ग़ज़ब मिठास,
गज़क-रेवड़ी स्वाद बिखेरें, मेरठ का वो ख़ास,
काली पलटन-घंटाघर-नौचंदी तेरी शान।

सपनों के आज़ाद परिन्दे, भर लें वो परवाज़,
देश और दुनिया में गूंजे, तेरी ही आवाज़,
कायम रहे क़यामत तक तू, इतना सा अरमान।


-निशान्त जैन

Thursday 20 October 2016

उत्कृष्ट लेखन कौशल : सफलता का आधार

"कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो,
 तू जिस जगह जगा सवेरे, उस जगह से बढ़कर सो।"

कवि भवानी प्रसाद मिश्र की ये पंक्तियां किसी भी युवा के सर्वांगीण विकास के लिए प्रेरक हैं। आत्म विकास की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। हम प्रतिदिन अपने ज्ञान और अनुभव से कुछ नया सीखते हैं और उसे अपने समग्र व्यक्तित्व में जोड़ते जाते हैं। कुछ सुनना, कुछ पढ़ना, कुछ बोलना और कुछ लिखना ये चारों मिलकर हमारे व्यक्तित्व को हर रोज तराशते हैं और हम खुद में गुणात्मक सुधार कर प्रगति पथ पर बढ़ते जाते हैं।
भाषा पर अधिकार और अच्छी पकड़ होने का सिविल सेवा परीक्षा में कितना कारगर महत्व है, इसकी चर्चा करने के बाद हम प्रतियोगी परीक्षाओं में उपर्युक्त चार कौशलों में से विशेष महत्वपूर्ण लेखन कौशल पर विशेष चर्चा करेंगे। साथ ही यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यूपीएससी में सफलता का आधार माने जाने वाले इस लेखन कौशल को कैसे उत्कृष्ट बनाया जा सकता है और किस प्रकार इसमें गुणात्मक सुधार लाया जा सकता है।
भाषा के अन्य कौशलों की तरह ही लेखन कौशल पर भी पकड़ एक-दो दिनों में नहीं बनाई जा सकती। लेखन कौशल को बेहतर बनाने का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और अनिवार्य तत्व निरंतर अभ्यास है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि
"करत-करत अभ्यास ते, जड़ होत सुजान, रस्सी आवत-जात ते सिल पर पड़त निशान।"

लिहाजा अपनी ताकत और अपनी कमजोरियों दोनों ही पहचानते हुए लेखन कौशल का अभ्यास शुरू करें। अभ्यर्थियों के सामने लेखन अभ्यास करने की दिशा में सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि इसे शुरू कैसे करें? तमाम छात्र यही कहते हैं कि मुझे तो लिखना बिल्कुल नहीं आता.... यूपीएससी के स्तर का लेखन कौशल तो बहुत दूर की कौड़ी है..... क्या मैं भी अच्छा लिखना सीख पाऊंगा..... मैं यूपीएससी टॉपर जैसा लेखन कौशल शायद ही कभी प्राप्त कर पाऊं.....आदि-आदि।
William Faulkner ने लिखा है, 'Get it down, take chances. It may be bad, but it's the only way, you can do anything, really good' 
लेखन कौशल का अभ्यास शुरू करने की उलझन और उहापोह से निकलने का सबसे बढ़िया तरीका उपर्युक्त उक्ति में ही छिपा है। यह बात अपने दिमाग से एकदम निकाल दें कि आप खराब लिखेंगे या फिर अच्छा लिखेंगे। बस आप लिखना शुरू कीजिए और फिर देखिए कि किस तेजी से आपके लेखन कौशल में सुधार आना शुरू होता है। एक और दिलचस्प बात यह है कि आपका लेखन कौशल बेहतर हो या फिर बेहतर से कम हो, दोनों ही दशाओं में आपको लेखन कौशल का अभ्यास करना ही है। यदि आप बहुत अच्छा लिखते हैं, तो bhi अभ्यास से आपके लेखन का स्तर बेहतर ही होगा और अगर अाप उतना अच्छा नहीं लिख पाते, तो लेखन अभ्यास आपके लेखन कौशल में गुणात्मक और नाटकीय सुधार के लिए निश्चय ही अनिवार्य है।

आइए बिंदुवार चर्चा करते हैं, उन तरीकों की, जिनसे हम अपने लेखन कौशल में सुधार कर, उसे उत्कृष्टता के स्तर तक ले जा सकते हैं : -
1. निरंतर अभ्यास की आदत बनाए रखें और इस छूटने ने दें। यह आदत आपके रूटीन का हिस्सा बन गई, तो यह आपके प्रदर्शन और मार्कशीट में जबर्दस्त सुधार ला सकती है।
2. लेखन कौशल का अभ्यास करने के साथ-साथ लिखे गए उत्तरों/निबंधों/केस स्टडी को किसी अच्छे अनुभवी मित्र या किसी मार्गदर्शक से जंचवाते रहें या फिर कोई अच्छी टेस्ट सीरीज भी जॉइन कर सकते हैं। समय-समय पर उत्तरों की जांच कराने से आपको यह अहसास होगा कि आपके लेखन कौशल में दिनोंदिन कितना सुधार हो रहा है। इससे आपको सकारात्मक मोटिवेशन तो मिलेगा ही, साथ ही कुछ सुधार हेतु काम की सलाहें व इनपुट्स भी मिल जाएंगे।
3.  तीसरी बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल लिखते रहने से अच्छा लेखन कौशल अर्जित नहीं किया जा सकता। इसके लिए आपको अच्छा पढ़ने की आदत भी विकसित करनी होगी। अनुकरण मानव मनोविज्ञान की एक विशेषता है। अगर आप अच्छी पाठयपुस्तक पढ़ेंगे और साथ में कभी-कभी अच्छे और नामचीन लेखकों की मशहूर किताबें या कुछ फिर कुछ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं पर भी नजर डाल लेंगे, तो खुदबखुद ही आपमें अच्छा लिखने की कला विकसित हो जाएगी। ध्यान दें कि आपको यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए कवि, लेखक या फिर साहित्यकार बनने की जरूरत नहीं है। जरूरत सिर्फ इतनी है कि यूपीएससी परीक्षा के स्तर का ठीक-ठाक लेखन कौशल अर्जित कर लिया जाए।
4.  इसके अतिरिक्त लेखन कौशल को बेहतर बनाने का एक और सूत्र है, लिखने के दौरान समावेशी, एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण अपनाना। कोशिश करें कि जब भी आप लिखें, तो संतुलित तरीके से लिखें। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और सत्य उनके बीच कहीं छिपा होता है। लिहाजा किसी भी प्रकार की अति (extreme) से बचें। दूसरे, लेखन अभ्यास के दौरान यह कला भी विकसित करें कि विषय या प्रश्न से जुड़े ज्यादातर पहलुओं का समावेश कर पाएं। इसे समास शैली कहते हैं। ज्यादा बातों को कम शब्दों में अभिव्यक्त कर देना यानी गागर में सागर भरना एक बेहतरीन स्किल है और इसे अभ्यास से अर्जित किया जा सकता है।
5. आखिरी पर महत्वपूर्ण बात है, चीजों को कनेक्ट करने का स्किल। 'connecting the dots' यानी कि बिखरे हुए बिंदुओं को जोड़ना एक बहुत काम का स्किल है। उदाहरण के तौर पर, जो अभ्यर्थी अभ्यास से सीखकर किसी भी विषय के सैद्धान्तिक पक्ष और व्यावहारिक पक्ष को परस्पर जोड़ पाते हैं, उनके अंकों में जबर्दस्त सुधार हो पाता है। साथ ही ज्ञान के विविध अनुशासनों, यथा आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक आदि को परस्पर कनेक्ट करना आपके लेखन को उत्कृष्टता के स्तर पर ले आता है। ऐसा करना उतना भी मुश्किल नहीं है। वैसे भी हमें आम तौर पर विशेषज्ञ (specialist) वाली एप्रोच ना रखकर सामान्यज्ञ ( generalist) एप्रोच रखनी चाहिए।
6. लेखन कौशल का एक महत्वपूर्ण आयाम है, संक्षेपण और पल्लवन की कला। यूपीएससी की परीक्षा में अक्सर ऐसा होता है कि किसी विषय पर आपकी जानकारी कम होती है, पर उसके उत्तर की शब्द सीमा ज्यादा होती है। कभी-कभी इसके उलट भी होता है। किसी प्रश्न के उत्तर में हमें भरपूर ज्ञान है, लेकिन उत्तर लिखना होता है 200 या 300 शब्दों में। ऐसे में, अगर आप ज्यादा ज्ञान को कम शब्दों में समेटने और कम सूचना को अधिक शब्दों में पल्लवित करने की कला सीख जाएं, तो काम काफी आसान हो जाएगा।
लेखन कौशल को उत्कृष्ट बनाने के लिए जरूरी है कि हम कुछ ऐसे तरीकों को भी समझें, जिनसे हम अपनी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति में मामूली सुधार कर अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।
बेहतर अंक पाने के सूत्र-
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अच्छे अंक पाने की कुंजी है, बेहतर प्रस्तुतीकरण। क्या आपने कभी ये सोचा है कि बराबर ज्ञान रखने और बराबर परिश्रम करने वालों के बीच प्राप्तांकों में इतना अंतर क्याें आ जाता है? इसका बड़ा कारण यह है कि कथ्य या उत्तर कैसे प्रस्तुत किया गया है। अगर भोजन अच्छा बना हो और उसे कायदे से परोस भी दिया जाए, तो सोने पर सुहागा हो जाता है। इसलिए प्रस्तुतिकरण की कला सीखें। इसके लिए आप अग्रलिखित बिंदुओं को फॉलो कर सकते हैं:-

a- स्पष्ट लिखें और सुव्यवस्थित लिखें। अभिप्राय यह है कि आपका कथ्य तो स्पष्ट हो ही, साथ ही आपका उत्तर देखने में भी स्पष्ट और स्वच्छ हो, तो इससे परीक्षक पर बेहतर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप लिखने के दौरान बार-बार कटिंग करते हैं, तो यह कमोबेश नकारात्मक प्रभाव डालता है। 
b- वर्तनी की गलतियों से बचने की कोशिश करें। एक परिपक्व ग्रेजुएट से इतनी अपेक्षा की जाती है कि वह सही वर्तनी लिखना जानता हो और व्याकरण की गलतियां ना करे। 
c- हैंडराइटिंग पर अभ्यर्थियों में काफी उलझन और उहा-पोह की स्थिति रहती है। यूपीएससी ने स्वयं अपने निर्देशों में लिखा है कि आपकी हस्तलिपि पठनीय होनी चाहिए। लिहाजा आपसे अपेक्षा है कि स्पष्ट और यथासंभव अच्छी हैंडराइटिंग में लिखने का प्रयास करें।
d- राइटिंग स्पीड का बेहतर होना वर्तमान पैटर्न की जरूरत है। प्रश्नपत्र को पूरा हल करने के लिए आपको तेज गति से लिखने का अभ्यास करना होगा। अच्छे अंक पाने के लिए लगभग पूरा पेपर हल करना जरूरी होता है। अत: राइटिंग स्पीड सुधारें, लेकिन साथ ही पठनीयता भी बनाए रखें। इसका समाधान ज्यादा से ज्यादा अभ्यास करना ही है। मेरी मानें तो यह इतना मुश्किल भी नहीं है।
e- पैराग्राफ में लिखें अन्यथा परीक्षक के लिए आपका उत्तर पढ़ना और समझना मुश्किल हो सकता है। यूपीएससी की उत्तर पुस्तिका की नमूना कॉपी लेकर, उस पर पैराग्राफ में लिखने का अभ्यास करें। पैराग्राफ ज्यादा बड़े ना हों। ध्यान रखें कि नई बात हमेशा नए पैराग्राफ से शुरू करें। 
f- मेरा अनुरोध है कि शब्द सीमा का कड़ाई से पालन करें। एक प्रश्न का उत्तर अच्छी तरह से लिखने की कोशिश में, बाकी प्रश्नों को नजरअंदाज न करें। साथ ही मेरी व्यक्तिगत सलाह यह है कि आप अपने उत्तरों को निर्धारित शब्द सीमा से 20-25 शब्द कम में भी समेट सकते हैं। इससे आपको पूरा पेपर हल करने में मदद मिलेगी। यह भी पहले ही अंदाजा लगा लें कि आप आमतौर पर एक पृष्ठ कितने शब्द लिखते हैं। इससे आपको निर्धारित शब्द सीमा का पालन करने में आसानी होगी। ऐसा ना हो कि आपको परीक्षा हॉल में बैठकर लिखे हुए उत्तर के शब्द गिनने पड़ें। 10-20 शब्द इधर-उधर हो जाएं, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। 
g- सुव्यवस्थित और क्रमबद्ध तरीके से लिखे प्रवाहयुक्त लेखन के लिए जरूरी है कि सहसा जो मन में आए, उसे लिखने से बचते हुए 'कहीं की ईट कहीं का रोड़ा' न जोड़ें। मेरा विनम्र अनुरोध है कि समय कम होने की स्थिति में मन ही मन एक रूपरेखा बनाकर उसे क्रमबद्ध और सुव्यवस्थित तरीके से लिखें। निबंध लिखते समय रूपरेखा बनाने का पर्याप्त समय होता है, लेकिन सामान्य अध्ययन या वैकल्पिक विषय में प्रायः समयाभाव के चलते यह सुविधा नहीं मिल पाती। अत: 150-200 शब्दों के उत्तर को भी व्यवस्थित तरीके से लिखें, तो बेहतर अंक मिलेंगे। शब्द सीमा के कारण  2-3 पंक्तियों की भूमिका और 2-3 पंक्तियों का ही निष्कर्ष दे सकते हैं। 
h- नए पैटर्न में अब सामान्य अध्ययन व निबंध के प्रश्नपत्रों में प्रश्न-सह -उत्तर पुस्तिका दी जाती है। इसमें प्रश्न के साथ ही उत्तर लिखने का खाली स्थान दिया होता है। यहां मेरी व्यक्तिगत सलाह है कि यथासंभव क्रम से प्रश्नों को हल करें, क्योंकि पुराने पैटर्न की तरह अब आप उत्तर पुस्तिका में अपनी सुविधा के अनुरूप प्रश्नों को क्रम नहीं बदल सकते। पुराने पैटर्न में हम प्रायः वह प्रश्न पहले हल करते थे, जिनके उत्तर बेहतर तरीके से आते थे। 
i- अभ्यर्थियों की एक बड़ी उलझन यह भी होती है कि हम उत्तर लिखते समय किस प्रकार की भाषा इस्तेमाल करें। मेरा मानना है कि भाषा पर अधिकार का मतलब शुद्ध संस्कृतनिष्ठ भाषा का ही प्रयोग नहीं है। सामान्य, सहज और सरल भाषा का इस्तेमाल करें। उर्दू और अंग्रेजी के ऐसे शब्द जो पूरी तरह हिंदी में घुल-मिल गए हैं, उनका प्रयोग कर सकते हैं। बस सहजता का ध्यान रखें। 
इस प्रकार सार रूप में कहूं, तो लेखन कौशल को बेहतर बनाना इतना भी कठिन नहीं है। निरंतर परिश्रम, लगन और इच्छाशक्ति से राइटिंग स्किल इम्प्रूव कर अच्छे अंक पाने की ओर कदम बढ़ाए जा सकते हैं। 
'जहां चाह, वहां राह।'